बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

मेडिकल स्टोर....!!!

मैं खड़ा था एक मेडिकल स्टोर पर कुछ देखा ... !!!
काफी भींड भाड़ सी थी ... कोलाहल रंग बिरंगी... गोलियाँ ... कैप्सूल ... टैबलेट खरीदते लोग ... !!!
उफ़ कितनी सांसत में जीते ... जीवन का मैखाना भी अजब हैं ... साकी तैयार हैं पर पैमाना ही नहीं हैं... !!!
एक पीले पुरानी पर्ची थामे...
कुछ गोंजा गया हैं उसमे ... !!!

अजीब लिखावट थी कोई ...
जैसा दर्द वैसी ही लिखावट भी ... !!!

कोई पढ़ाना चाहे तो भी पढ़ा
ना सके किसी को वो बेरुखी ... !!!

पर एक आदमी कोशिश कर रहां ...
हाँ यह हैं ऊपर के दूसरे बर्जे पर ... !!!

सामने चमकीले पत्ते में लिपटी ...
रख दिया हरी नीले पीले गोलियाँ ... !!!

कुछ भूल आया मैं शायद वहीँ पर ...
हाँ हाँ पर्ची पर अब देर हो चुकी हैं .... !!!

कोई उठा ले गया जैसे पर खैर ...
उसे भी वही दिक्कत होगी लगता हैं ... !!!

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