बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 13 मार्च 2013

ख्वाब...!!!



ख्वाब परिंदा ठहरा...
बड़ी आराम से...!!!
उड़ रहा ख्वाइशों के
नीले बैक्ग्राउण्ड मे...!!!

अचानक टकरा गया...
टूट गए पर उसके...!!!
छन्न से बिखर गयी...
मानो सारी कायनात...!!

ओह रूई के गोले...
रंगीन बनते जा रहे...!!!
सूरज पीला मरहम लिए
चाँद ढूढ़िया टॉर्च थामे...!!!

सभी आए हॉस्पिटल मे...
पर कमी हैं किसी की...!!!
मुकद्दर की गाड़ी पंचर हैं...
उसे कोई बुला लाओ...!!!

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