बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

रविवार, 28 अप्रैल 2013

हेडफोन...


बस एक रंगीन टुकड़ा...
...सुबह ही आया
लुढ़कते लुढ़कते...!!

...अब नहीं आता वो...

वरना चला आता था...
....हर रोज़ जहाज
गलियारे मे क्रैश होने...!!

कानो मे आज भी...
...रोती बिलखती चीखे
गूँजा करती बेवक्त...!!

ज़रा आके हटा जा...
...सो गयी ज़िंदगी
हेडफोन लगा के...!!

~खामोशियाँ©

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