बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

फ़लक की एक्सरे प्लेट


इस ठंड मे इतनी ओस पड़ रही कि दूर छोड़िए पास ही देख पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा....रेल से लेकर हवाई-जहाज सब मंद पड़ गए है.....और ज़रा सी तेज़ी सीधा हॉस्पिटल पहुंचा दे रही लोगों को....तो बस इसी परिपेक्ष मे हमने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं ज़रा गौर कीजिएगा.....!!!


एक पूस की अंधेरी गुमनाम रात मे....
चारो तरफ धुंध की सिगरेट फूंकता.....
..................दौड़ा आ रहा था कि.....!!!

वक़्त के पहिये की
दाहिने हड्डी टूटी गयी.....
बूढ़े काका भी ढूढ़िया लालटेन थामे.....
.................जांच रहे मर्ज............!!!

बयार की स्ट्रेचर पर अब भी लेटा......
............कराह से बिलबिला रहा.....!!!

अब देख कैसे कड़कड़ा रहे अब्र.....
फ़लक की चमकती भीगी..........
.....एक्सरे प्लेट पर उभरा है कुछ.....!!!

तारे जब आँसू पोछेंगे.....तो पता चलेगा.....
वक़्त तो.....
..........अभी लेटा बिस्तर पे मुंह लटकाए....!!!

©खामोशियाँ-२०१३

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